POETRY WRITING
"MAA"
कभी हाथ और घुटनों के बल रेंगते थे और कब खड़े हो गए हम पैरो पे,
यादें धुंधली धुंधली सी है, पर अब तक के जीवन की यादें सबसे अनमोल है।
कभी खुद ही हमें डांटती थी, तो कभी खुद ही पापा की डांट से बचाती थी।
खाने में हमारे नखरे और खिलने की तुम्हारी अनोखी अंदाज़ आज भी याद आती है मां।
चंदा मामा की कविताएं होती थीं हमारे लिए खास।
वो स्कूल के दिन,वो भारी बस्ता,
और फिर तुम्हारी गोद में सुकून की नींद, बहुत याद आती है मां।
By:-
Name: Md. Sameer
Stream: CSE
Roll No.: 114
College: TMSL, Kolkata
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